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Monday, 15 January 2018

हे ईश्वर!

हे ईश्वर!
तू क्यों ऐसा करता है जग में?
कहीं ज़िन्दगी गम  में धूमिल,
कही सुख से न्यारी है

किसी के घर तो चिता जली,
कहीं  पहली लोहरी की लाली है
किसी के घर दुःख दीप जला,
कहीं  दीपो की क्यारी है

हे ईश्वर!
तू क्यों ऐसा करता है जग में?
कहीं ज़िन्दगी गम  में धूमिल,
कही सुख से न्यारी है
    

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