सीख ,हमें गीता सिखाती है
फंसी किश्ती कहीं मझधार में, सही राह चाहती हैं
इच्छा, बस यहीं है कि, किनारा जल्द मिल जाये
अब ढूंढ़ना होगा ,समझ के नए नज़रिये से,
कोई दुरबीन नहीं है , जो मंज़िल को दिखा देगी
खुदी को ढूंढ़ना है वो चिराग, एक अनोखा सा
जो देके रौशनी अपनी, भगा दे मन के अँधेरे को
के मंज़िल है वहीं ,जहाँ शुरू, जीवन कहानी थी
बस, पानी हुआ गहरा, और लहरें आती जाती है
हम सीख ही लेंगे, तैरना, इस समंदर में
जो अंत में हमे, महासागर, से मिलाती है
अभी बस के लिए, राही बने चलते चले जाएँ
यही जीवन की सच्ची सीख हमे गीता सिखाती है