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Saturday, 8 June 2019

मुझे माफ़ करना, तुम वो प्यार नहीं

मुझे माफ़ करना, तुम वो प्यार नहीं 

  
जो उस बेजान पड़ी किताब के पन्नो से हो 
जिसे यूँही बार बार पढ़ने का, बहाना मिल जाये 
जिसे पढ़ते ही, आंख में पानी छलक जाये 
मुझे माफ़ करना, तुम वो प्यार नहीं 

वो पहली बारिश से भीगे, हरे पत्तो के नज़ारे  
आँखों से दिल में, सीधे उतर जाये 
गीली मिटटी की सुगंध से, यादो को है जो  
मुझे माफ़ करना, तुम वो प्यार नहीं 

जो माँ केआँचल की, ठंडक का कोई जादू  
मुश्किल में भी, मुस्कान दे जाये 
उसकी गोद में दर्द का, हर एहसास खो जाये 
 मुझे माफ़ करना, तुम वो प्यार नहीं 


  

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