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Wednesday, 29 July 2020

अतीत के पन्ने

यूँ हि बरसो से बन्द पड़ी किताब में,  
अतीत के कुछ पन्ने खोले, 
उसमे आज भी उनसे सीखी, 
सब बात का एहसास उसमे ज़िंदा हैं | 

कागज़ का रंग पीला पड़ गया, 
श्याही फ़ीकी हो चली,  
पर उनकी लिखी हर पंक्ति का, 
अर्थ आज भी कविताओं में ज़िंदा हैं |

शुक्रिया कहुँ या शिकवा करुँ, 
दोनों का अब मोल नहीं,
जिनको जाना था वो चले गए, 
पर हमारी यादों में, वह आज भी ज़िंदा हैं |