यूँ हि बरसो से बन्द पड़ी किताब में,
अतीत के कुछ पन्ने खोले,
उसमे आज भी उनसे सीखी,
सब बात का एहसास उसमे ज़िंदा हैं |
कागज़ का रंग पीला पड़ गया,
श्याही फ़ीकी हो चली,
पर उनकी लिखी हर पंक्ति का,
अर्थ आज भी कविताओं में ज़िंदा हैं |
शुक्रिया कहुँ या शिकवा करुँ,
दोनों का अब मोल नहीं,
जिनको जाना था वो चले गए,
पर हमारी यादों में, वह आज भी ज़िंदा हैं |